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Monday, November 1, 2010

जंगल में मंगल

सफलता की यह कहानी की शुरुआत उस बियाबान जंगल से शुरू होती है जहाँ ७० से अधिक शेर खुले आम घूमते -फिरते है ,हजारों की तादात में हिरणों के झुण्ड अठखेलियाँ लेकर हवा में ग़ुम होते है , मेघों की गरज के साथ हजारों मोर-मोरनी के जोड़े नाचते नजर आते है , ११२० वेर्ग किलोमीटर में फेले इस बियाबान जंगल में दुनिया के पहले सफ़ेद शेर ने डरती पैर यहीं पहला कदम रखा था , ........ हाँ , यही है दुनिया का प्यारा -निराला नेशनल पार्क बांधवगढ़ जहाँ टाइगर रिजर्व के कोर इलाके में बैगा -गोंड जाति के लोगों के घास-फूस के टोले बसे होते है एवं हमेशा ही इन घरों में घुस कर शेर अपना शिकार करता है इनके गाय- बकरी ग्घर से उठा लेना उसकी आदतों में शुमार होता है ।

ऐसे बियाबान जंगल में पी -सेगमेंट में रुपया १४२० लाख का जमा संग्रहण की सफलता की कहानी कुछ इस तरह से शुरू होती है........ बैंकिग में जब गला-काट प्रतिस्पर्धा का दोर चल रहा हो और पी-सेगमेंट जमा के टार्गेट हासिल करने में एडी-चोटी करने के बाद पसीना आ रहा हो तब सच्ची लगन ,सोच में परिवर्तन एवं आत्म-विस्वास के साथ सुन्दर ग्राहक सेवा से सभी कुछ हासिल किया जा सकता है , इसका आभास स्टेट बैंक उमरिया का देखिये ----

प्रदेश के सबसे पिछड़े आदिवाशी इलाके उमरिया जिले में बियाबान जंगल से २-४ माह में रुपया १४२० लाख जमा एकत्र कर लेना इस बात को साबित करता है कि,
"सोच बदलो सितारे बदल जायेगें ,
नजर कोबद्लो नज़ारे बदल जायेगें ,
कश्तियाँ बदलने की जरूरत नहीं ,
दिशाओं को बदलो किनारे बदल जायेगें ,"

टार्गेट हासिल करके कुछ नया कमल कर दिखाना , निरंतर समर्पण भाव से ग्राहकों की सेवा करने में निहित है ,पी-सेगमेंट में दुसरे प्रतिद्वंदी बैंक से रुपया १४२० लाख छुड़ाकर अपने बैंक में लेन की सफलता की कहानी हमारे बैंक की ताकत और हमारी तरक्की की तस्वीर है । अवसर बार-बार नहीं मिलते , जब अवसर मिले तो सच्ची लगन एवं समर्पण भाव से मिले अवसर को हथिया लेना ,सफल होने की निशानी है । नए साल में अपने महत्वपूर्ण ग्राहकों को बहुत अपनेपन के भाव से उनके ओफ्फिस या घर में शुभकामनायें देने से शाखा के तरक्की के दरवाजे कुछ इस तरह से खुले , बांधवगढ़ नेशनल पार्क के प्रोजेक्ट ऑफिसर श्रीपाटिल ने नए साल की शुभकामनाओं के साथ रूपये १४२० लाख का तोहफा दे दिया ।

श्री पाटिल ने बताया कि टाइगर रिज़र्व में मानव जाती का दिअरेक्ट जीविक हस्तछेप न रहे एवं वन्य प्राणियों के अस्तित्व के संकट से उन्हें उबरने के लिए सर्कार ने यह कदम उठाया है कि वन्य प्राणियों के बचाव एवं संम्वर्धन के लिए यह आवशक है कि कोर एरिया में बसी मानव जाति का पुनर्वास कर कोर एरिया को जीविक दबाब से मुक्त किया जावे ,इसलिए कोर एरिया में बसे हर गाँव के हर परिवार को एक मुस्त रूपये १० लाख कि रहत राशी दी जाये ,मानपुर ब्लाक के कल्ल्वाहः

एवं कुम्र्वाहः गाँव के करीब १४२ परिवारों को उनके गाँव में ही बैंकिंग सुविधाएँ दे जाकर रुपया १४२० लाख एकत्र किये गए , प्रोजेक्ट के प्रथम चरण में बियाबान जंगल में बसे कल्ल्वाहः गाँव एवं कुमार्वाहः गाँव में उमरिया शाखा की टीम के श्री मल देवांगन , श्री शांतनु दो और लवकेश सिंह ने डेरा डाला ,प्रोजेक्ट ऑफिसर श्री पाटिल और एनी अधिकारी भी साथ हो लिए ,बैगा और गोंड जाति के परिवारों से गहरी आत्मीयता एवं विश्वास के साथ बैंक वालों की बैठकें हुई गांववालों को जमा योजनाओं के फायदे बतेये गए ,शाखा कि टीम ने उनकी भाष्हा और उनकी सभ्यता को सम्मान देते हुए बहुतही अपनेपन के भाव से उनके दिलों में स्थान बनाया ।

प्रोजेक्ट के दुसरे चरण में शाखा की टीम ने प्रोजेक्ट ऑफिसर कि अनुमति लेकर कल्ल्वाहः और कुमार्वाहः गाँव के परिवारों के खाते खोले और पास बुकों का वितरण किया जिसमे जिला प्रशन के आधिकारियों ने भाग लिया और ट्रेजरी से चेक जरी होने के साथ रूपये १० लाख के सावधि जमा के रसीदें जरी कि गईं , उनके सभी कार्यों के निबटान तुरंत किये गए , इन सभी कार्यों में रिजनल ऑफिस के श्री जे दी मजुमदार समप्र , श्री आर रघुरमण ,श्री वसंत खादायत और अस्बीई ग्रामिन्स्वा-रोजगार इंस्टिट्यूट उमरिया के निदेशक श्री जय प्रकाश पाण्डेय का विशेष योगदान रहा ।

पुरे प्रोजेक्ट को सफल बनाने में अनेक दिक्कतों का सामना करने का होसला बुलंदी पर था और मनोबल बढ़ाते हुए इस काम से सभी को अहसास हुआ कि .......
" आखों में मंजिलें थीं ,
गिरे और सभालते रहे ,
आधियों में क्या दम था ,
चिराग हवा में भी जलते रहे , "


जय प्रकाश पाण्डेय
निदेशक ,
ग्रामीण स्व-रोजगार ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट
उमरिया
मो- 9425852221

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