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Wednesday, May 5, 2010

कमी नहीं है कद्र्ता की ...

प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के उद्देश्य और उसके प्रति दृष्टिकोण में भिन्नता होती है। एक व्यक्ति के जीवन का उद्देश्य धनार्जन के लिए संघर्ष करना है वहीं दूसरे व्यक्ति का उद्देश्य यश और प्रतिष्ठा को प्राप्त करना है। लाखों व्यक्ति ऐसे है जो अपने संपूर्ण जीवन की दो तिहाई उम्र दोनों समय का भरपेट भोजन जुटा पाने के लिए संघर्ष करते हुए व्यतीत कर देते है। ऐसे व्यक्तियों के जीवन का उद्देश्य अपना और अपने परिवार का अस्तित्व बनाए रखने के लिए भोजन प्राप्त करना होता है। ऐसे व्यक्तियों के मन, शरीर और आत्मा की अपारशक्ति और विवेक अंत में अर्थहीन जीवन के साथ समाप्त हो जाता है ,

कुछ व्यक्ति धनी बनने की स्पर्धा में अपना समय और क्षमता नष्ट कर देते है। उनके पास जलपान और भोजन के लिए भी समय नहीं बचता। उनमें से कुछ तो ऐसे व्यक्ति भी होते है जो घर से जाते और आते समय बच्चों को सोता ही पाते है। लोग धन तो बहुत अíजत कर लेते है, किंतु उसका पूरा उपभोग किए बिना ही संसार से विदा हो जाते है। यद्यपि उनका जीवन प्रशंसनीय होता है। प्रत्येक व्यक्ति के चिंतन का प्रभाव उसकी जीवन-शैली को निर्धारित करता है। यदि भोग ही जीवन का उद्देश्य है तो फिर इतने कष्ट क्यों? इतनी प्राकृतिक विपदाएं और विविध रोग क्यों? भारतभूमि वह भूमि है, जहां धन से अधिक धर्म का और भोग से अधिक योग का महत्व है। भारतीय धारणा के अनुसार जीवन का अर्थ निरंतर संघर्ष ही है। यह संघर्ष व्यक्ति केवल अपने लिए नहीं करता, वरन् दूसरों के सुख की भी चिंता करता है। यदि व्यक्ति नदी तैरकर जा सकता है तो वह पुल बनाने की आवश्यकता अनुभव नहीं करेगा, लेकिन वह पुल बनाने की कला का प्रदर्शन करते हुए दूसरों को लाभ पहुंचाना चाहता है।

ईश्वर का सृष्टि की रचना के पीछे मानव-कल्याण के महान उद्देश्य की पूर्ती  करना है। प्रत्येक व्यक्ति और मानवता के अस्तित्व का उद्देश्य किसी-न-किसी महान लक्ष्य को प्राप्त करना है। भारतीय दर्शन के अनुसार मनुष्य की शारीरिक और मानसिक उन्नति उसकी आध्यात्मिक प्रगति पर ही आधारित है। यही उसके जीवन के शाश्वत सत्य का पथ है, एवं यही सिटिजन एस बी आई का परम सत्य है ।


-जय प्रकाश पाण्डेय
डायरेक्टर ,
ग्रामीण स्वरोजगार ट्रेनिंग संस्थान
उमरिया

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