CitizenSBI Blog wishes its readers a Happy Mother's Day!
एक कहानी सुनी होगी आपने .... एक बेटे की प्रेमिका ने मांग की , कि मुझे तुम्हारी माँ का दिल लाकर दो । बेटे ने लाख समझाया , पर प्रेमिका जिद पर अढी रही ..... प्रेमिका के मोह में बेटे ने जंगल में अपनी माँ का वध कर डाला , माँ का दिल निकाल कर जब बेटा चलने लगा तो राह में अचानक ठोकर लगी .... माँ का दिल बोल उठा -''संभाल के बेटा ! कहीं चोट तो नहीं लगी !'' कहने को तो ये कहानी है , परन्तु ''माँ '' शब्द की व्याख्या और माँ की ममता के पराकास्ठा को दर्शाती है यानी बेटे के इतने बड़े अपराध को भी माफ़ कर दिया और देह त्यागने के बाद भी बेटे की सुरक्षा की चिंता है , जब की बेटे ने इतना बड़ा धोखा उसकी ममता को दिया ...
सच है ''माँ '' शब्द अपने आप में इतना विशाल और महान है कि माँ की ममता एवं बच्चों के लिए त्याग का वर्णन करने में शब्द भी बोने या काम पड़ जाते है , बेटे कभी माँ के लिए इतना बड़ा त्याग या बलिदान नहीं दे सकते । तमिलनाडु की एक माँ के दोनों बेटों की ऑंखें ख़राब थीं ... तो उस बेचारी माँ (तमिल सेल्वी ) ने अपनी दोनों ऑंखें दोनों बेटों को देकर बेटों की ऑंखें रोशन करने के लिए माँ ने अपना दीपक बुझा दिया , कहते है कि माँ और बेटे का दिल माँ की गर्भावस्था के दोरान समांतर धडकता है और यही साम्यता उन्हें आजीवन एक अनमोल रिश्ते में बांधकर रखती है माँ का प्यार कभी कम नहीं होता , जबकि बच्चे उस ममता और प्यार का मोल ही नहीं समझ पाते और उन्हें जीवन साथी के रूप में एक और दिल जब मिल जाता है तो इस माँ के दिल और आँखों को खून के आंसू तक रुलाने में नहीं चुकते , यदि दो बेटे है तो दोनों चाहेगे कि माँ हमारे पास नहीं रहे ... या ज्यादा हुआ तो बारी- बारी से रखेगे , या वाइफ की सलाह पर आश्रम छोड़ देते है ....
यदि हर उन्नति को आप माँ का आश्रीवाद मानते है , तो माँ को आज के युग में कबाडखाना समझकर उसकी अनुपयोगिता का अहसास पग- पग पर करते रहना आज का क्यूँ फेशन बन गया है , सिटिजन एस बी आई के माध्यम से अब माँ फिर से ''माँ '' बन कर रह पायेगी .......
-जय प्रकाश पाण्डेय
निदेशक
ग्रामीण स्वरोजगार ट्रेनिंग संस्थान , उमरिया
No comments:
Post a Comment