समाज के कमजोर एवं गरीब वर्ग के सामाजिक और आर्थिक उत्थान में स्टेट बैंक की अहम् भूमिका रही है ,माइक्रो फाइनेंस अवधारणा ने बैंक विहीन आबादी को बैंकिंग सुविधओंके दायरे में लाकर जनसाधारण को परंपरागत साहूकारों के चुंगल से मुक्त दिलाने में प्राथमिकता दिखाई है ....स्व सहायता समूह की एक महिला के होसले ने पुरे गाँव की तस्वीर बदल डाली , उस महिला से प्रेरित हो कर अन्य महिलाऐं भी आगे आई .... महिलाओं को देख कर पुरुषो ने भी अपनी मानसिकता को त्याग दिया और जुट गए अपने गाँव की तस्वीर बदलने के लिए
.........ग्वालियर जिले का गाँव सिकरोड़ी की अस्सी phiisadii जनसँख्या अनुसूचित जाति की है लोगों की माली हालत थी , लोग शोच के लिए खुले में जाया करते थे , स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने माइक्रो फाइनेंस योजना के अंतर्गत वामा गैर सरकारी संगटन को लोन दिया , वामा संस्था ने इस गाँव को पूर्ण शोचालाययुक्त बनाने का सपना संजोया .... अपने सपने को पूरा करने के लिए उसने स्टेट बैंक की मदद ली , गाँव के लोगों की एक बैठक में इस बारे में बातचीत की गई , बैठक के लिए शाम आठ बजे पुरे गाँव को बुलाया गया , हालाँकि उस वक़्त tak गाँव के पुरुष नशा में धुत हो जाते थे और इस हालत में उनको समझाना आसान नहीं था , लेकिन वामा ने हार नहीं मानी, और फिर बैठक की ....बैठक में महिलाओं और पुरुषों को शोचालय के महत्त्व को बताया , पुरुषों ने तो रूचि नहीं दिखी लेकिन एक महिला के होसले ने इस बैठक को सार्थक सिद्ध कर दिया । विद्या देवी जाटव ने कहा कि वह अपने घर में कर्जा लेकर शोचालय बनवायेगी , वह धुन की पक्की थी उसने समूह की सब महिलायों को प्रेरित किया इस प्रकार एक के बाद एक समूह की सभी महिलाएं अपने निश्चय के अनुसार शोचालय बनाने में जुट गई , पुरुष अभी भी निष्क्रय थे .... जब उन्होंने देखा कि महिलायों में धुन सवार हो गई है तो गाँव के सभी पुरुषों का मन बदला और तीसरे दिन ही वो भी सब इस सद्कार्य में लग गए और देखते ही देखते पूरा गाँव शोचालय बनाने के लिए आतुर हो गया , प्रतिश्पर्धा के ऐसी आंधी चली कि कुछ दिनों में पूरे गाँव के हर घर में शोचालय बन गए और साल भर मेंउनके कर्ज भी पट गए ....
महिला सश्कितिकरण का ये उदाहरण सराहनीय है ....
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जय प्रकाश पाण्डेय
माइक्रो फाइनेंस शाखा भोपाल
9425852221
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