A Chronicle of Enlightened Citizenship Movement in the State Bank of India

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Wednesday, February 17, 2010

I had never seen Bade Babu Smiling...

बात उस समय की है जब कि मै बैन्क सेवा मे आने से पूर्व पोस्टआफ़िस की एक ग्रामीण शाखा मे पदस्थ था. एक दिन एक युवक आया और मेरे काउन्टर के सामने खङे होकर कहने लगा सर, रजिस्ट्री हो जायेगी क्या? मैने कहा नही ५ बज चुके है, आफ़िस बन्द होने वाला है तथा आखरी ङाक बन्ङल भी सील हो चुका है.

मेरे ऍसा कहते ही वह युवक रोने लगा और अपनी गरीबी बताते हुए कहने लगा कि सर, ये नौकरी हेतु आवेदन है जिसे भेजना बहुत जरूरी है. मैने पूछा अगर ये इतना जरूरी है तो आपको जल्दी आना चाहिये था. उसने उत्तर दिया कि मेरे गाँव से यहाँ तक आने का कोई साधन नही है. मै १० कि.मी. पैदल चलकर यहाँ तक पहुचा हूँ और न ही मेरे पास पैसे है. आवेदन भी मैने उधार पैसे लेकर भेज रहा हूँ.
रोते हुए उसके चेहरे को देख मेरे मन मे अजीब सी हलचल हुई. मुझसे रहा नही गया. मैने पीछे देखा तो बङे बाबू जो की पोस्ट्मास्टर थे उनकी तरफ़ देखना भी कयामत से कम नही था, वे बङे ही खुसङ स्वाभाव के थे. उनकी बङी बङी मुछे व दिन भर पान मुँह मे चबाकर रखते. कभी किसी का काम अटके तो वो पूरी तरह अटकाने मे लगे रहते थे, किन्तु मेरे मन मे आया की बङे बाबू (पोस्ट्मास्टर) से बात की जाये. उससे पहले वे अपने चश्मे के उपर से सब देख रहे थे व मुझे सिर हिलाकर इशारा कर रहे थे कि आफ़िस बन्द हो चुका है.

मैने उनके पास जाकर हाथ जोङकर उस युवक की समस्या बताई, तब कही भगवान ने उनके सिर को हिलाकर हाँ कहलवाया हो. जैसे ही उन्होने सिर हिलाया, मैने तुरन्त रजिस्ट्री रसीद काटी व राजू (प्यून) को बन्ङल जिसे सील किया जा चुका था हटाने को कहा तथा उस युवक के रजिस्ट्री लिफ़ाफ़े पर Airmail का स्ट्रेप चिपकवाया.

किस्मत से उस रोज ट्रेन जिससे की ङाक का बन्ङल जाना था १/२ घन्टा लेट थी. राजू ने लिफ़ाफ़ा तैयार कर पुन: बन्ङल बन्द किया व सील करके ट्रेन से रवाना किया.
लगभग २ माह बाद वही युवक एक छोटे से पैकेट मे मिठाई लेकर आया तथा मेरे काउन्टर पर खङा हो गया. मै तो उसे भूल चुका था. उसके कपङे व पोजीशन मे बदलाव देख मै सोच रहा था कि उसे कही तो देखा है. उसने मुस्कुराते हुए अपने हाथ जोङ्कर धन्यवाद देते हुए कहा कि सर, आपने जो मेरी उस दिन मदद की थी इसी कारण मेरी नौकरी लग गई है और मै आपको धन्यवाद देने आया हू. मुझे अत्यन्त खुशी हुई.
मैने उससे कहा पहले बङे बाबू को मिठाई खिलाओ. बङे बाबू के पास वह युवक मिठाई लेकर गया, जिसे उन्होने भी खाई तथा मुस्कुराकर खुश हुए. बङे बाबू जो कि कभी हंसते मैने कभी नही देखा था आज उन्होने भी मुझे Appreciate किया. आज १२ वर्ष बाद भी वह युवक मेरे घर के Land Line Number से सम्पर्क मे तथा मुझे मेरे मोबाईल पर फोन करता रहता है. उस वाकये को जब मै याद करता हूँ, तो मुझे आंतरिक खुशी की प्राप्ति होती है.

S.S. TIKAWAT
STATE BANK OF INDORE
FREEGANJ, UJJAIN
MOBILE: 9424850851

1 comment:

  1. One more example of a natural Citizen who thought from the "being" level and proceeded to the "function" level to help the needy person. kudos to the Citizen!!!

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