भोपाल में दो दिवसीय सिटिज़न एस बी आई सत्र में सहभागियों के परिचय के दौरान एक प्रतिभागी ने अपना परिचय देते हुए कहा - मेरा नाम विनीता कोपरगाँवकर है एवं मुझे जन्म से ही दिखता नहीं है परन्तु मैंने इसे ज़िन्दगी में एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया है और कभी भी हार नहीं मानी है. में स्वयं अंधे बच्चों के लिए एक संस्था से जुडी हुई हूँ.
उनका संक्षिप्त परिचय सुनकर सभी सहभागी प्रभावित हुए बगैर न रह सके. (वर्तमान में, विनीता हमारे आंचलिक कार्यालय, भोपाल में telephone operator के रूप में पदस्थ हैं.) परिचय पूर्ण होने पर हमारे द्वारा सभी प्रतिभागियों को अपने अपने मोबाइल बंद करने अथवा उन्हें silent mode पर रखने को कहा गया तथा सर्वसम्मति से मोबाइल बजने की स्थिती में मोबाइल धारक को रु 100 की पेनाल्टी का प्रावधान रखा गया. इसके तहत, पहले दिन दो प्रतिभागियों से और दूसरे दिन एक प्रतिभागी से पेनाल्टी जमा कराई गयी.
सत्र समाप्ति पर इस राशि का क्या किया जाए? - यह एक विकट समस्या थी. अतः पुनः हमारे द्वारा सभी प्रतिभागियों की राय ली गयी... और यह क्या?...एक ध्वनि में राय मिली - सर, इस राशि को विनीता मैडम की संस्था को भेंट किया जाए.
बात यहीं पर ख़त्म नहीं हुई. कुछ सहभागियों द्वारा कहा गया - सर, हमारा मोबाइल ट्रेनिंग के दौरान नहीं बजा है, फिर भी आप हमसे पेनाल्टी स्वीकार करें.
और देखते देखते, विनीता की संस्था को रु. 1200 की सहायता प्राप्त हो गयी एवं कुछ सहभागियों द्वारा उनकी संस्था हेतु अनेक प्रकार से सहायता करने की इच्छा भी प्रगट की गयी. सभी प्रतिभागियों के चेहरों पर आतंरिक परिपूर्णता के भाव थे और हमारे मन सत्र की सार्थक समाप्ति से परिपूर्ण हो रहे थे.....
शरद नाईक
Facilitator
स्टेट बैंक ऑफ़ इंदौर
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