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Thursday, March 11, 2010

रब, हर इन्सान को हिम्मत व ताकत दे !

मैं अपने छोटे से परिवार के साथ नर्सरी कालोनी के पीछे किराये के मकान मे रहता था.
   एक दिन शाम के वक्त सूरज ङूब रहा था. मै शाम को मगरीब की नमाज के लिये तैयारी कर रहा था. उस समय बीबी ने कहा मै अभी सिवईया की मशीन पङोस मे भाभी को देकर आती हूँ. मै कमरे के अन्दर ही अजान होने की राह देख रहा था. तभी अचानक एक जोर की चीख बाहर सुनाई दी.
   मै उसी हालत मे फोरन कमरे से बाहर आया. बाहर सामने नर्सरी कालोनी मे भीङ लगी थी और सामने कमरे मे धुआ ही धुआ दिखाई दिया. मै सीधा वहा पहुचा और देखा वहा कमरे मे आग लगी थी तथा कमरा अन्दर से बन्द था. कालोनी वाले चिल्ला रहे थे बचा लो - बचा लो, वह मर जायेगी.
   मैने दरवाजा बन्द देखा तो मै समझा अब शायद ही बचेगी. मगर मैने हिम्मत से काम लिया. जल्द ही मैने दरवाजा तोङा और मै अन्दर कमरे मे दाखिल हुआ. कमरे के अन्दर बहुत ही धुआ था. कुछ नजर नही आ रहा था. मैने अपने हाथो से उन्हे खोजा. जैसे ही मुझे हाथ मे कुछ लगा मैने फौरन उसे उठाया और सीधा कमरे से बाहर भागा. बाहर आने पर देखा, उस शरीर के सारे कपङे जल गये थे तथा उसके बदन की जली हुई चमङी मेरे हाथ पर पर चिपकी हुई थी.
   मै फिर कमरे मे गया और उसके पति को भी बाहर लाया. उसके सिर्फ़ हाथ जले हुए थी और वह शराब के नशे मे धुत था. दोनो बेहोश थे. उनके छोटे-छोटे बच्चे बाहर रो रहे थे. वहा से कम्बल लेङिस को औढाया फिर वहा कालोनी वाले जो लोग आस-पास थे, जो उस वक्त वही सारा नजारा देख रहे थे, उन्हे मैने ङाटा, चिल्लाया कोई तो मदद करो, मगर वह लोग पुलिस के ङर से आगे नही आना चाह रहे थे. उन्हे समझाने पर चार-पाँच व्यक्ति आये और हमने उस जली हुई औरत को खाट पर लेटाया और खाट को उठाकर हम लोग उसे अस्पताल लेकर आये. 
     अस्पताल मे ङाक्टर साहब ने उसका इलाज करते हुए कहा केस सिरीयस है. इसे धार ले जाना होगा. मै इसे धार के लिये रेफर कर देता हूँ. आप धार ले जाओ. जब धार जाने का कहा तो फिर वहा कालोनी वाले पिछे हट गये. कौन जायेगा धार. ये पुलिस केस है. गवाह देना होगी. पुलिस परेशान करेगी. मैने उन्हे समझाया, मै तो बैन्क कर्मचारी हू, फिर भी आपके विभाग के कर्मचारी का साथ दे रहा हू और एक आप हो जो ङर रहे हो. फिर दो व्यक्तियो को साथ लेकर मै उन्हे एम्बूलेन्स से उन्हे धार ले गया तथा अस्पताल मे एङमिट कराया.
    सुबह उनके परिवार से लोग वहा आ गये थे, उनके हवाले उन्हे कर के मै फिर वापस घर आया. घर पर मेरे बीबी बच्चे भी इन्तजार कर रहे थे. इस हादसे को देख सारी कालोनी वाले चर्चा कर रहे थे, बैन्क वाले पठान साहब ये उन्हे बचा लिया. उस हादसे के बाद मुझे लगा कि मुझमे कितनी हिम्मत है और कितनी ताकत. मैं  अपने रब से  यही दुआ करता हूँ  कि हर इन्सान को हिम्मत व ताकत दे जिससे कि हर व्यक्ति एक दूसरे के अच्छे बुरे काम मे सहयोग देवे तथा एक दूसरे के काम मे आये. आमिन!

रफीक पठान
स्टेट बैंक ऑफ़ इंदौर
महेश्वर शाखा
मोबाइल: ९७५४९६८८००

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