मेरे प्रिय सिटिजन भाई /बहनों ,
हमारी सदेव यह अभिलाषा रहती है कि दूसरे लोग हम से प्यार करें ....... हमसे मीठा बोलें, मधुर व्यवहार करे ...., सहयोग दें .....,सहायता प्रदान करें ......, पर हमें यह भी तो सोचना चाहिए कि दूसरा भी हमसे ऐसी ही अपेक्षा रखता है । इसलिए हमारा कर्त्तव्य हो जाता है कि हम जो चाहते है पहले उसे व्यवहार में आने दे , अब उसकी प्रतिक्रिया तो स्वयमेव उत्पन्न होगी ...... ।
पुचकारने से पशु और पक्षी तक आत्मीयता प्रगट करने लगते है फिर हमको -आपको क्या कहा जाये ? हम -आप तो प्रेम के लिए , आत्मीयता के लिए अपनी झोली फेलाए फिरते है ... अरे सीधी सी बात है आप मानवता /मनुष्य से प्रेम करिए संसार आपका आभारी होगा ..... आप लोगों के साथ नेकी का व्यवहार तो कर के देखिये .... आप की भलाई का समन्दर उमड़ पड़ेगा , परोपकार के नाम पर आपका किया हुआ हर कार्य असंख्य गुना होकर लोटेगा और आपके चारों ओर सुख , शांति , और संतोष बिखर जावेगा ।
-जय प्रकाश पाण्डेय ,माइक्रो फाइनेंस शाखा ,भोपाल
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