स्टेट बैंक नारायणगंज के शाखा प्रबन्धक के रूप में इस मामले का खुलासा करने में तनिक हिचक और आश्चर्य के साथ सहज रूप से विश्वास नहीं हो रहा था , ''किसी से बताना नहीं पर ऐसा अनुभव हुआ है '' ........यह बात फेलते - फेलते खबरनबीसों तक पहुच गई , फिर देनिक भास्कर और देनिक नई दुनिया ने इस खबर को प्रमुखता से छापा,
खबर यह थी कि २० साल पहले एक ने बैंक से कर्ज लिया था , लेकिन कर्ज चुकाने के पहले ही वह परलोक सिधार गया ............ । उसके बेटे ने एक दिन बैंक में आकर अपने पिता द्वारा लिए गए कर्ज की जानकारी ली , बेटे ने मुझे बताया कि उसके पिता बार-बार सपने में आते है और बार-बार यही कहते है कि बेटा बैंक का कर्ज चूका दो ,पहले तो मुझे और शाखा के स्टाफ को आश्चर्य हुआ और बात पर भरोसा नहीं हुआ , लेकिन उसके बेटे के चहरे के दर्द और भावना पर गौर करते हुए अप्लेखित खातों की सूची में उसके पिता का नाम मिल ही गया ,उसकी बात पर कुछ यकीन भी हुआ , फिर उसने बताया कि पिता जी की बहुत पहले मृत्यु हो गई थी ,पर कुछ दिनों से हर रात को पिता जी सपने में आकर पूछते है की कर्ज का क्या हुआ ? और मेरी नींद खुल जाती है फिर सो नहीं पता , लगातार २० दिनों से नहीं सो पाया हूँ ,आज किसी भी हालत में पिता जी का कर्ज चूका कर ही घर जाना हो पायेगा । अधिक नहीं मात्र १६५००/ का हिसाब ब्याज सहित बना , उसने हँसते -हँसते चुकाया और बोला - आज तो सच में गंगा नहए जैसा लग रहा है ,
अगले दो-तीन दिनों तक मेनें उसकी खोज -खबर ली , उसने बताया की कर्ज चुकने के बाद पिता जी बिलकुल भी नहीं दिखे , उस दिन से उसे खूब नीदं आ रही है ,
इस तरह एक सिटिज़न मृतात्मा की प्रेरणा से जहाँ बैंक की वसूली हो गई वहीँ एक पुत्र पित्र्य-लोन से मुक्त हो गया ,इस खबर को तमाम जगहों पढ़ा गया और कई दूर-दराज शाखों की २०-२० साल पुरानी अप्लेखित खातों में खूब वसूली हुई । लोग याद करते है की स्टेट बैंक में ऐसे सिटिज़न कर्जदार भी होते है जो मरकर भी अपने कर्ज को चुकाते हुए बैंक की वसूली का माहौल भी बनाते है ...... उस मृतात्मा को साधुवाद .... सलाम ...
ये संयोग भी है और मजे की बात भी , की जिस साल इस सिटिज़न मृतात्मा का ये वसूली अभियान का समाचार अख़बारों के मार्फ़त मंडला जिले में फेला , उस साल मध्य प्रदेश में आर आर सी दायर खातों (अप्लेखित खातों ) में सबसे अधिक वसूली हेतु मंडला जिले को प्रथम पुरस्कार हेतु शासन ने चुना । ...... धन्य हो सिटिज़न मृतात्मा ........., तुम्हे सलाम ......
जय प्रकाश पाण्डेय
मायक्रो फायनेंस शाखा भोपाल
bahut khub aashcharya janak hai par avishvasniya nahi,.us mrit aatama ko naman.
ReplyDeleteजय हो!
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