भारतीय स्टेट बैंक के इतिहास में एक अध्याय जुड़ा था जब परिवर्तन नामक कार्यक्रम शुरू हुआ. मुझे याद है जब मैंने कार्यक्रम में शिरकत की मुझे अन्दर से लगा वास्तव में हमारे अन्दर कितनी सारी संभावनाए है जिससे हम जिन्दगी के इस पड़ाव पर पहुँचने के बाद भी अनभिज्ञ हैं, नसरुद्दीन शाह की वह क्लीपिंग आज भी मुझे याद है.
पिछले दिनों में हमारे रीजन में तो अक अभिनव् प्रयोग हुवा हमारे रीजन की अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सिटिज़न एस बी आई की लिए जब उन्हें खजुराहो तथा ओरछा जैसी मनोहारी जगहों पर बुलाया गया तो सारे बेहद रोमांचित थे सभी ने पांच सितारा होटल की लॉबी में जब अपने आप को पाया और शाम को कार्यक्रम ख़त्म होने की बाद लाईट एवं साउंड शो देखने की उत्सुकता ने हमें फिर से बचपन याद दिला दिया !
कार्यक्रम बेहद रोचक था कार्यक्रम के दौरान जब एक प्रतिभागी ने अपनी कथा सुनायी ! आज से बीस वर्ष पूर्व ब्लड डोनेशन के बारे में बेहद कम लोग जागरूक थे , कई माताएं अपने बच्चे को सिर्फ इसलिए मना कर देती थीं कि उनका लाल दुबला न हो जाये . इसी कशमकश के बीच एक प्रसंग आया और किस तरह उस खून का सदुपयोग किया गया कि ये स्मृति आज भी अपनी यादो में ताजा है.
कार्यक्रम दो दिनों तक चला पता ही नहीं चला कब समय गुजर गया और जब चलने का समय आया तो कैमरे में अपनी स्मृति संजोकर आप लो प्रेषित कर रहा हूँ. आपको ब्लाग सिटिज़न एस बी आई लिखने के लिए धन्यवाद आपका यह भागीरथ प्रयास निश्चय ही गंगा (सिटिज़न ) को भारतीय स्टेट बैंक में अवश्य लाएगा तथा हमें अपने जीवन के अर्थ समझाने और कुछ अच्छा कर जाने के लिए प्रेरित करेगा , इसी साधुवाद के साथ.
Bhanwar Purohit
RBO, Chhatarpur (M. P.)
Photographs by Bhanwar Purohit
Tuesday, January 5, 2010
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