जागे फिर
एक बार
जन-जन में
तंत्र बोध
अपने कर्तव्यों,
अधिकारों का
गण से जो
मिले हमें....
जागे फिर
अभिलाषा
सबके दुःख दर्द मिटें
आगे सब साथ बढें
मन हों फिर
आनंदित
शुभ हो
गणतंत्र पर्व।
- नीलाभ कृष्ण खरे
एस एम् ई शाखा
इंदौर
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