हमारे जीवन में कहीं से भी कोई व्यकित या माध्यम प्रेरणा देने वाला मिल जाए तो हम महान बनकर महान कर्म कर सकते है । हमारे अंदर असीमित शक्तियां / चमत्कार सुप्त पड़े हुए है , यदि कोई प्रेरित करके हमारे अंदर की असीमित ऊर्जा को जाग्रत कर देता है तो चमत्कार हो जाता है । ....
लगातार दो दिन तक सिटीजन एसबीआई में चले सत्संग से सकारात्मक सोच का सागर उमड़ पड़ा , शरीर तरोताजा हो गया था , सच में महसूस हुआ कि सकारात्मक सोच से शरीर का रोग प्रतिरॉधक तंत्र मजबूत होता है । दो दिन के ही सत्संग में मेरे अंदर इतने अधिक इनर फ़्रुइत्स और आउटर फ़्रुइत्स पैदा हो गए थे कि खुशी से आँखें छलक आईं। सिटीजन एसबीआई के दो दिवसीय सत्संग के दौरान सेवा , सहानुभूति और सहयोग की भावना का गुबार उठता रहा , डूब - डूबकर मानव सभ्यता और संस्था के लिए आस्था जागती रही , अपने व्यकित्त्व एवं सोच में निखार लाने के रास्ते मिलते गए । ........................
महीना भर बीत गया था .... पर जब एक दिन सिटीजन एसबीआई के सत्संग स्थल जहाँ अभी भी लोग डूबकर ध्यान्मगन बैठे थे , वहाँ से गुजरते हुए मेरा मन फिर हुआ कि काश ! फिर से इन बनते - बिगड़ते समूहों का हिस्सा बनकर सिटीजन-सत्संग में डुबकी लगा लूँ , फेसीलेटर जी पर नजर गई.... तो पूछ बैठा - क्या एक बार फिर से इस सिटीजन में हिस्सा लिया जा सकता है ? फेसीलेटर जी को ऐसे प्रश्न की उम्मीद नहीं थी , वे भी असमंजस में कुछ कह नहीं पाये ... मैंने उनकी आखों में आउटर फुटस॒ की उलट - पलट भरी हलचल देखी और उन्होंने भी मेरी आखों में इनर फ्रूट्स के बदलते रंगों का संसार देखा .....
फिर पलटकर जब मैं जाने को हुआ तो पीछे से उनकी आवाज आयी ........ सुनिए , कुछ इनर फ्रूट्स यहां छूट रहे है ये फ्रूट्स तो लेते जाइए , फिर उन्होंने कहा - आपको याद होगा ...हनुमानजी के अंदर की असीमित ऊर्जा को जाग्रत करने में श्रीराम जी ने प्रेरित किया था , हमने सिटीजन समापन के दिन आपको सत्संगी किट और मिशन की एक प्रेरक किताब दी थी जिसके पठन से आपके आतंरिक एवं बाहरी फल हमेशा ताज़ा बने रह सकते हैं। मैंने फेसीलेटर को धन्यवाद दिया और तेज़ रफ़्तार से वहां से निकल लिया...
जय प्रकाश पाण्डेय
माइक्रो फाइनेंस ब्रांच, भोपाल
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