A Chronicle of Enlightened Citizenship Movement in the State Bank of India

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Tuesday, December 29, 2009

मुस्कराकर तो देखो

उन आँखों में झांक के देखो तो सही ,

प्यार झलकता है की नहीं ।

एक कदम बढ़ा के देखो तो सही ,

राह मिलती है की नहीं ।

हाथ बंटा के देखो तो सही ,

काम होता है की नहीं ।

एक बार मुस्करा के देखो तो सही ,

दुनिया अपनाती है की नहीं ।

जय प्रकाश पाण्डेय

माइक्रो फाईनेंस शाखा भोपाल

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