A Chronicle of Enlightened Citizenship Movement in the State Bank of India

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Saturday, December 19, 2009

अपना जीवन ऐसा हो ..........

कुछकुछ लिखूं, न लिखूं ,क्या लिखूं, कैसे लिखूं ,प्रथम दृष्टया ये सवाल मेरे मन में आये सिटिज़न एस बी आई कार्यक्रम में सहभागीता के उपरांत, किन्तु तुरंत ही विचारों के ज्वार-भाटे इन मूढ़ प्रश्नों को निगल गए और मैं स्वतः स्फूर्त होकर अपने विचारों को लेखन में त्वरित गति से ढाला,मानो यह कोई प्रतिवर्ती क्रिया हो -यह सहज प्रक्रिया जो परिणाम था एक ऐसे कार्यक्रम के अन्तर्निहित प्रभाव का जो मानो मेरी आत्मा को झंकृत कर दिया हो .जी हाँ, यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है । दो दिन के इस कार्यक्रम में मुझे ऐसा लगा -जैसे काल के हर क्षण ,हर पल को हमने पहली बार इतनी समग्रता से जीया हो.वास्तव में यह अनोखा कार्यक्रम आद्योपांत अपने आप में पूर्णतया डुबोए रखा .यद्यपि मैं ज्ञानार्जन केंद्र इंदौर के अंतिम सत्र का सदस्य था जिसमें अनेक वरिष्ठ एवं विशिष्ठ बैंककर्मी थे ,परन्तु कार्यक्रम की रूपरेखा ने इन सारे विशेषणों को समाप्त कर सभी सदस्यों को एक ही तल पर ला खड़ा किया.हम सभी सदस्य सामान रूप से जीवन, कर्त्तव्य,अधिकार,समाज के उन अनछुए पहलुओं को महसूस किये जो हमें मनुष्य की अनंत शक्तियों का बोध कराता है ,हमें आत्ममंथन एवं अपनी उर्जा ,क्षमता से स्वसाक्षत्कार कर अच्छा करने को संकल्पित करता है।
यह कार्यक्रम एक अद्भूत खोज की भाँति है,जो मूलतः हमें सकर्मक अंशदान के माध्यम से आत्मिक शांति की ओर केन्द्रित करता है .यह समग्रता के साथ वस्तुनिष्ठ रहने की विधि बताता है। यथा - जीवन में लक्ष्य को परिभाषित करना,परिपूर्ण जीवन की शैली कैसी हो ?अपने जीवन में विशिष्ठ योगदान के लिए सितिज़ेन्शिप का उपयोग कैसे करें ?..खुली मानसिकता ,स्वयम की खोज ,ये सब ऐसे चमत्कारी तत्त्व हैं ,की इनमें से एक पर भी अगर अपने आपको गंभीर किया जाए तो जीवन की दशा बदल दे .भला इन सब को अपने दैनिक जीवन में उतारने पर तो हम धरा पर बैकुंठ लोक की अनुभूति करें -बस फल ही फल मिले वो भी आंतरिक ।
सामूहिक क्रियाकलाप ,सामूहिक परिचर्चा एवं नाट्य निरूपण ने कार्यक्रम को हमारे दिलोदिमाग में पीरो दिया है .स्पष्टतया कार्यक्रम के पहले एवं इसके बाद की मनोदशा ,कार्यशैली,विचार-विन्यास में अंतर देखा जा सकता है , व्यक्तिगत रूप से मैं तो इसका हिमायती हूँ एवं हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ कोटी-कोटी इस कार्यक्रम के रचयिता एवं इसके अवधारक को । आशा है सिटिज़न एस .बी.आई. नामक यह कार्यक्रम हम समस्त बैंककर्मियों को एक नया मापदंड के निर्धारण में जीवनपर्यंत भूमिका अदा करेगा,एक नए सोंच, विचार का स्फुरण होगा एवं सफल जीवन को मानसिक अस्तर पर पुनः परिभाषित कर हमें इस संसार में कुछ देने के भाव को जागृत व अंकुरित करेगा और हम परिपूर्ण जीवन का आनंद लेंगे - अंततः यह आनंद शाश्वत होगा........!!!!

सिद्धार्थ शंकर
SMECC, इंदौर

1 comment:

  1. thanks for your valuable sharing about the Citizen SBI programme and the manner it has impacted you. Let us all salute united to Citizen SBI!!!!

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