मुझे सिटिज़न एस बी आई कार्यक्रम से जुड़ने का अवसर सितम्बर माह के अंत में प्राप्त हुआ जब मैंने प्रथम बार एक प्रतिभागी के रूप में इस कार्यक्रम में भाग लिया । इसने न केवल मेरे मानस पटल पर एक अमित छाप छोड़ी अपितु मुझे अपने ही अन्तःमन में झाँकने के लिए प्रेरित कर दिया की आख़िर हमें ज़िन्दगी में क्या चाहिए ? हम यूँ ही भागते जा रहे हैं या हमें हमारी मंजिल का ज्ञान है? क्या हमें अपनी खुशी का एहसास है? क्या हम जानते हैं कि किस तरह हमें आत्म संतुष्टि मिल सकती है और कैसे हम जीवन में सम्पूर्णता प्राप्त कर सकते हैं?
इन्हीं प्रश्नों की खोज में कभी हम ध्यान गुरु की तलाश करते हैं तो कभी श्री श्री रवि शंकर जी की आर्ट ऑफ़ लिविंग की शरण में जाने लगते हैं। लेकिन अब कहीं और जाने की ज़रूरत नहीं ! मेरे विचार से हमारा यह कार्यक्रम इन सभी प्रश्नों का उत्तर देने में सक्षम है। समस्त जवाब ये अपने अन्दर समेटे हुए है।
एक फैसिलिटेटर के रूप में जितनी बार मुझे ये कार्यक्रम संचालित करने का मौका मिला , और गहनता से मैंने इसके बारे मैं विचार किया, उतनी ही बार एक नया दृष्टिकोण, एक नया विज़न मेरे सामने आया। आदरणीय श्री जगत बिष्ट सर ने एक मौका दिया है, इस ब्लॉग के मध्यम से, अपने इन्हीं अनुभवों को आपके साथ बांटने का, जिसके लिए मैं उनकी आभारी हूँ। इसी श्रंखला कि प्रथम कड़ी में मैं पूर्ण संतुष्टि या परिपूर्णता के वृक्ष की नई परिकल्पना पर अपने विचार आपके साथ बांटना चाहती हूँ।
परिपूर्णता का वृक्ष (Tree of Fulfillment):
इस कार्यक्रम का आधार "परिपूर्णता के वृक्ष" को समझने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि ये हमारे अपने ही व्यक्तित्व का परिचायक है। जहाँ outer tree हमें अपने बाह्य व्यक्तित्व के बारे में बताता है वहीं inner tree हमारे आतंरिक व्यक्तित्व से हमारा परिचय कराता है ।
इस वृक्ष के मध्यम से सम्पूर्णता / पूर्ण संतुष्टि की जो परिकल्पना की गयी है वो सचमुच अद्भुत है। पहली बार सोचा या समझा की जब हम किसी की सहायता करते हैं , किसी के जीवन में कुछ सकारात्मक योगदान करते हैं तो उसे कितनी मदद मिलती है इसका आंकलन तो वह दूसरा व्यक्ति ही कर सकता है , पर इस छोटे से काम से हम अपने परिपूर्णता के वृक्ष को निश्चित रूप से हरा-भरा कर लेते हैं।
ज़िन्दगी की राह में किसी के काम आने से हमें मिलने लगते हैं बहुत से inner fruits और जब हम अन्दर से खुश हैं , संतुष्ट हैं, strong हैं तो निश्चित रूप से हम हर क्षेत्र में चाहे वो कार्यस्थल हो, परिवार हो या समाज हो , बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करते हैं ।फलतः हमें प्राप्त होते हैं external fruits ।
जब हमें प्रतिष्ठा मिलती है, प्रशंसा मिलती है तो हम अधिक योगदान करने की चाह में अपनी आतंरिक योग्यताओं को और अधिक बढ़ने की कोशिश करते हैं जिससे inner fruits में निरंतर वृद्धि होती रहती है। इस तरह यह चक्र लगातार चलता रहता है और हमें अनवरत प्राप्त होती है एक आत्म-संतुष्टि, एक सुकून जो की अनमोल है और यही हम सबके जीवन का ध्येय है!
Purnima BhargavaSBLC, Ajmer
Saturday, December 12, 2009
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Poornima Madam,
ReplyDeleteThanks for sharing this valuable thoughts about Tree of Fulfilment. The Citizen SBI Programme is much akin to Art of Living by Shri Ravi Shankar as told by Mr. Srnivas of Illumine too. There, they teach you some kriyas and here we are having exercises to train our brain. keep contributing.