नयी ललक से स्वागत कर लें
नयी सुबह का
नए साल की दस्तक देती
आने वाली नयी सुबह जो ....
जो भोगा सीखा अब तक
उसका संबल ले
अपने भीतर बसी हुई
अपनी ताकत से
करें सामना अपने ही भय का,
आलस का, लोभ-दंभ का
नयी ललक से....
ऊंचे -नीचे टेढ़े -मेंढ़े
जीवन पथ पर
बढ़ते जाएँ
राह सुगम कर
चलना जब तक नियत हमारे लिए
धरा पर
नयी ललक से ....
नीलाभ कृष्ण खरे
एस.एम्.ई। शाखा, इंदौर
No comments:
Post a Comment